शिव-पार्वती के रिश्ते जैसा अटूट होगा आपका भी बंधन,

Date: 2023-02-18
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जिस दिन देवों के देव महादेव शिव का राजा दक्ष की पुत्री माता पार्वती से विवाह हुआ था, उस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जात है। इस साल यह पर्व 18 फरवरी यानी की आज मंदिर में साज-सजावट के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।भगवान शिव और माता पार्वती का वैवाहिक जीवन सच्चे प्रेम, सम्मान और समर्पण का प्रतीक है। यह कम ही लोग जानते हैं कि माता पार्वती, भगवान शिव की अर्धांगिनी होने के साथ उनकी शिष्या भी थीं। उनके द्वारा पूछे गए सवाल भगवान शिव को बेहतर तरीके से जानने के साथ मानव कल्याण से भी जुड़े होते थें। जो आज के समय में विवाह को सफल बनाने में कपल का मार्गदर्शन कर सकते हैं।भगवान शिव के कई तस्वीरों में उनका शरीर आधा नारी और आधा नर का दिखाई देता है। इस रूप को अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे की वजह कपल्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण।

भगवान का यह रूप बताता है कि पति-पत्नी के रिश्ते में दोनों की भागीदारी समान होनी चाहिए। इससे ही संतुलन बना रहता है।भगवान शिव और मां पार्वती ने अपने रिश्ते के बीच किसी को आने की अनुमति नहीं दी। जिस भी प्रकार की परिस्थिति पैदा हुई दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे। यही पति-पत्नी की रिश्ते को लंबे समय तक मजबूत रखता है।पति-पत्नी के रिश्ते में आने के बाद व्यक्ति दो जिस्म एक जान की तरह हो जाता है। इसलिए कभी मदद मांगने में संकोच नहीं करना चाहिए। न ही सामने वाले की मदद करने की काबलियत पर शक करना चाहिए।

आपका पार्टनर ही वह व्यक्ति होता है, जो जीवन भर आपके साथ रहता है। ऐसे में उससे किसी भी तरह की बात या परेशानी को छुपाना बेईमानी है।भगवान शिव और खुद जगत माता पार्वती भी हर चीज पर सलाह-मशवरा करते हैं। जबकि दोनों स्वयं सर्वज्ञानी है। वह ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकि रिश्ते में एक-दूसरे के प्रति सम्मान और विश्वास को बनाए रखने के लिए यह चीज बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में अकेले सारे फैसले कर लेना आपके रिश्ते को कमजोर कर सकता है।यदि पति और पत्नी अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निभाएं तो वैवाहिक जीवन खुशी से बितता है। इसके साथ ही अपनी गलतियों की जिम्मेदारी भी लेना जरूरी होता है। यहां तक कि भगवान शिव और पार्वती भी अपनी भूल स्वीकार करने के लिए एक-दूसरे के प्रति बाध्य हैं।

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